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Rajasthan

रामदेव जी

Jiten Choudhary
Last updated: May 19, 2024 7:50 am
Jiten Choudhary Published May 19, 2024
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5 Min Read
रामदेव जी
रामदेव जी
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रामदेव जी: राजस्थान भारतीय संस्कृति का गहना, विविधताओं, और परम्पराओं का खजाना है। राजस्थान के लोकदेवता और देवियों का महत्व अद्वितीय है। जिनमें एक नाम है, रामदेव जी।

Contents
रामदेव जी का सामान्य परिचयरामदेव जी की धर्म बहिन डाली बाईहरजी भाटी की रचनाएंरामदेव जी के उपनामरामदेव जी के बारे में प्रमुख बिंदुरामदेव जी के प्रमुख ग्रंथरामदेव जी के अन्य तीर्थ स्थलरामदेव जी की फड़

राजस्थान के लोकदेवता माने जाने वाले रामदेव जी को लोकप्रियता और महत्व का वास्तविक प्रतीक माना जाता है। इनका इतिहास और महत्व गहरी परम्पराओं से जुड़ा हुआ है। रामदेव जी का जन्म गाँव उण्डूकाश्मेर तहसील शिव जिला बाड़मेर में हुआ था।

राजस्थान की सांस्कृतिक एंव धार्मिक परम्परा में रामदेव जी का महत्वपूर्ण स्थान है। इस आर्टिकल में आप रामदेव जी के बारे में विस्तार से जान पायेंगे।

रामदेव जी का सामान्य परिचय

जातिराजपूत
गोत्रतंवर
पिताअजमाल जी कंवर
मातामेणा दे
पत्नीनेतल दे (अमरकोट के सोढ़ादले की पुत्री)
भाईबीरमदेव (बीरमदेव को भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम का अवतार मानते है)
गुरुबालीनाथ
गुफामसूरिया पहाड़ी (जोधपुर)
बहिनलाछा, सुगणा
धर्म बहिनडाली बाई
घोड़ालीला
शिष्य(1) हरजी भाटी
(2) आई माता
(3) लकी बंजारा
प्रतीक चिन्ह“संगमरमर (White) के पग्लंया”
रचना“24 वाणियाँ” (एकमात्र लोक देवता जो कवि थे।)
पंथकामडिया सम्प्रदाय
जन्म तिथिभाद्रपद शुक्ल द्वितीय (1409 विक्रम सं.) “बाबे-री-बीज”
जन्म स्थानउण्डूकाश्मेर गाँव तह.-शिव (बाड़मेर)
नोट : राज्य सरकार के अनुसार रामदेव जी का जन्म झुझांर गाँव-पौकरण तह. (जैसलमेर)।
नेजापंच रंगा झण्डा
रिखियामेघवाल जाति के भक्त (रामदेव जी के)
जम्माइनकी यात्रा से आकर घरों में लगाया जाने वाला जागरण
पर्चारामदेव जी के चमत्कार
मन्दिररूणेचा / रामदेवरा – पोकरण तह. जैसलमेर । इस मन्दिर का निर्माण ‘बीकानेर के महाराजा गंगासिंह” ने करवाया था।
मेलाभाद्रपद शुक्ल 2 से भाद्र पद शुक्ल 11 तक
– साम्प्रदायिक सद्भावना का प्रतीक
– मारवाड़ का कुंभ (उपनाम)

रामदेव जी की धर्म बहिन डाली बाई

  • इनकी जाति – मेघवाल
  • इनका मन्दिर – रामदेव जी के मन्दिर के सामने (रूणेचा) इस मन्दिर का निर्माण बीकानेर के महाराजा गंगासिंह ने करवाया था।
  • डाली बाई ने रामदेव जी से एक दिन पहले (भाद्र पद शुक्ल-10) को रूणेचा में जीवित समाधी ली।

हरजी भाटी की रचनाएं

  1. आगम पुराण
  2. गऊ पुराण
  3. मूलारभं की वीरता
  4. भादरवा री मेमा
  5. श्री रामदेवजी री वैली

रामदेव जी के उपनाम

  1. रामसापीर
  2. पीरा रां पीर
  3. रूणेचा रा धणी
  4. कुष्ठ नकी निवारक लोक देवता
  5. हेजा निवारक लोक देवता

रामदेव जी के बारे में प्रमुख बिंदु

  • हिन्दू रामदेव जी को भगवान “श्री कृष्ण’ का अवतार मानते है। मुसलमान रामदेव जी को राम व अर्जुन का वंशज मानते है।
  • राजस्थान के एकमात्र लोक देवता जिन्होंने ‘मूर्ति पूजा’ का विरोध किया। इस कारण रामदेव जी के पग्लिये पूजे जाते है। राजस्थान के एकमात्र लोकदेवता जिन्होंने तीर्थ यात्रा का विरोध किया।
  • रामदेव जी के तीर्थ यात्रियों (भक्त, श्रद्धालु) को ‘जातरू’ कहा जाता है।
  • रामदेव जी ने बचपन में “सातलमेर गाँव में भेरू राक्षस का वध किया तथा पोकरण क्षेत्र को पुनः और इस क्षेत्र को अपनी बहिन सुगणा को दहेज में दिया ।
  • कामडिया पंथ को मानने वाले लोग शव को दफनाते है।
  • रामदेव जी के मन्दिर के सामने भैरू बावड़ी बनी है।
  • रामदेव जी ने भाद्रपद शुक्ल 11वीं को रूणेचा में समाधी ली।
  • रामदेव जी के मन्दिर के पास में (सामने) ‘रामसरोवर तालाब” बना हुआ और इस तालाब में नहाने से कुष्ठ रोग दूर होता है।

रामदेव जी के प्रमुख ग्रंथ

  1. रामदेवजी का ब्यावला (पूनमचंद द्वारा रचित)
  2. श्री रामदेव जी चरित (ठाकुर रूद्र सिंह तोमर )
  3. श्रीरामदेव प्रकाश (पुरोहित रामसिंह)
  4. रामसापीर अवतार लीला (ब्राह्मण गौरीदासात्मक)
  5. श्रीरमदेवजी री वेलि (हरजी भाटी)

रामदेव जी के अन्य तीर्थ स्थल

  1. बिराटिया खुर्द मंदिर (पाली)
  2. मसूरिया पहाड़ी (जोधपुर) आधारशिला
  3. सुरता खेड़ा (चित्तौड़गढ़)
  4. खुंडियास (अजमेर) मिनी रामदेवरा
  5. गुजरात (छोटा रामदेवरा)

रामदेव जी की फड़

रामदेव जी की फड़ को कामड़ जाती के भोपों द्वारा रावणहत्था वाद्ययंत्र के साथ पढ़ा जाता है।

नोट – रावणहत्था वाद्ययंत्र केवल इनकी फड़ पढ़ने / वाचन के समय उपयोग में लिया जाता है जबकि इनकी आराधना में चौतारा / तन्दुरा वाद्ययंत्र उपयोग में लिया जाता है।

हमें उम्मीद है कि हमारा आर्टिकल पढ़ने के बाद आपको रामदेव जी के बारे में सभी प्रकार की जानकारी मिल गई होगी। आप हमारी वेबसाइट पर इसी तरह के और भी आर्टिकल पढ़ सकते हैं और राजस्थान के अन्य लोक देवताओं के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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